चीन ने एक बार फिर अपने नक्शे में अरुणाचल प्रदेश की 11 जगहों के नाम बदल दिए हैं। पिछले 5 साल में चीन ने तीसरी बार ऐसा किया है। चीन पहले भी 2021 में 15 और 2017 में 6 जगहों के नाम बदल चुका है। चीन के सरकारी अखबार ‘ग्लोबल टाइम्स’ के मुताबिक सोमवार को चीन की सिविल अफेयर मिनिस्ट्री ने 11 नाम बदले जाने को मंजूरी दे दी। यह सभी इलाके जेंगनेन में आते हैं। चीन ने इन इलाकों के नाम मन्दारिन और तिब्बती भाषा में रखे हैं।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने चीन की इस हरकत पर पलटवार करते हुए कहा है कि हमारे सामने चीन की इस तरह की हरकतों की रिपोर्ट्स पहले भी आई हैं। हम इन नए नामों को सिरे से खारिज करते हैं। अरुणाचल प्रदेश भारत का आतंरिक हिस्सा था, हिस्सा है और रहेगा। इस तरह से नाम बदलने से हकीकत नहीं बदलेगी।
वहीं कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चीन के अरुणाचल की जगहों का नाम बदलने का जिम्मेदार ठहराया है। कांग्रेस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि प्रधानमंत्री मोदी ने जून 2020 में चीन को क्लीन चिट दे दी थी। अब हमें उसकी कीमत चुकानी पड़ रही है।
2021 में चीन ने अरूणाचल प्रदेश की 15 जगहों के नाम बदले थे। इनमें से 8 रिहायशी इलाके थे, 4 पर्वत, 2 नदियां और एक पहाड़ों से निकलने वाला रास्ता था। 2015 में चाइनीज अकेडमी ऑफ सोशल साइंस के रिसर्चर झांग योंगपान ने कहा था, ‘जिन जगहों के नाम बदले गए हैं वो कई सौ सालों से रही हैं। चीन का इन जगहों का नाम बदलना बिल्कुल जायज है।