अमेरिका ने पाकिस्तान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों को लेकर सख्त रुख अपनाया है। अमेरिका के उद्योग और सुरक्षा विभाग (BIS) ने 13 से अधिक पाकिस्तानी कंपनियों को अपनी निगरानी सूची में शामिल किया है। इन पर संदेह है कि ये कंपनियाँ परमाणु संबंधी खतरनाक गतिविधियों में शामिल हैं।
इसके अलावा, अमेरिका ने पाकिस्तान की 7 और कंपनियों पर प्रतिबंध भी लगाए हैं, जो कथित तौर पर देश के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में सहयोग कर रही थीं। अमेरिकी प्रशासन का मानना है कि ये कंपनियाँ अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेश नीति के लिए खतरा बन सकती हैं।
परमाणु गतिविधियों में लिप्त कंपनियों पर कार्रवाई
यह कार्रवाई अमेरिका के निर्यात प्रशासन नियमों (EAR) में हाल ही में हुए बदलावों के तहत की गई है। इस निर्णय से पाकिस्तान, चीन, ईरान, दक्षिण अफ्रीका और यूएई की करीब 70 कंपनियां प्रभावित हुई हैं। जिन पाकिस्तानी कंपनियों को निगरानी सूची में डाला गया है, उनमें ब्रिटलाइट इंजीनियरिंग, इंटेनटेक इंटरनेशनल, इंट्रालिंक इनकॉर्पोरेटेड, प्रोक मास्टर और रहमान इंजीनियरिंग एंड सर्विसेज शामिल हैं।
अब इन कंपनियों को अमेरिकी तकनीक या उत्पाद हासिल करने के लिए विशेष लाइसेंस की आवश्यकता होगी।
बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम से जुड़ी कंपनियां भी रडार पर
अमेरिका ने पाकिस्तान की 7 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाते हुए कहा है कि ये कंपनियाँ बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम में सक्रिय रूप से शामिल थीं। इनमें बिजनेस कंसर्न, ग्लोबल ट्रेडर्स और लिंकर्स ऑटोमेशन जैसी कंपनियां प्रमुख हैं, जो इस्लामाबाद, कराची, लाहौर, फैसलाबाद और वाह कैंटोनमेंट में स्थित हैं।
पाकिस्तान ने जताया विरोध
इस कदम पर पाकिस्तान ने नाराजगी जताई है। विदेश मंत्रालय ने अमेरिका के इस निर्णय को “अनुचित और राजनीतिक मंशा से प्रेरित” बताया है। प्रवक्ता शफकत अली खान ने कहा कि यह फैसला वैश्विक व्यापार और तकनीकी नियमों के खिलाफ है और इससे पाकिस्तान के सामाजिक व आर्थिक विकास में बाधा आ सकती है।
गौरतलब है कि 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद से ही दोनों देशों के संबंधों में खटास बनी हुई है।