भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से मजबूत व्यापारिक संबंध रहे हैं। अमेरिका, भारत का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। वर्ष 2024 में दोनों देशों के बीच कुल $129.2 अरब का व्यापार हुआ, जिसमें भारत ने $87.4 अरब का निर्यात किया और अमेरिका से $41.8 अरब का आयात किया। हालांकि, डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद, अमेरिका ने टैरिफ (शुल्क) बढ़ाने की नीति अपनानी शुरू कर दी है। पहले अमेरिका ने कनाडा, मैक्सिको और चीन पर टैरिफ लगाया था, और अब 2 अप्रैल से भारत पर भी ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ लगाने का ऐलान कर दिया है। यह फैसला भारत और अमेरिका दोनों की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकता है।
दोनों देशों पर पड़ेगा असर
अमेरिका द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ के कारण भारत से अमेरिका को होने वाला निर्यात महंगा हो जाएगा, जिससे भारतीय उद्योगों को नुकसान हो सकता है। दूसरी ओर, इस फैसले से अमेरिका को भी झटका लगेगा। भारत से अमेरिका को निर्यात किए जाने वाले कई उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे अमेरिकी उपभोक्ताओं को महंगाई की मार झेलनी पड़ सकती है।
टैरिफ बढ़ने से अमेरिकी कंपनियों की उत्पादन लागत भी बढ़ेगी, जिसके चलते वे अपने उत्पादों के दाम बढ़ा सकती हैं। इसका सीधा असर अमेरिका की अर्थव्यवस्था और आम लोगों की जेब पर पड़ेगा।
किन भारतीय उत्पादों पर पड़ेगा असर?
भारत, अमेरिका को विभिन्न महत्वपूर्ण वस्तुओं का निर्यात करता है, जिनमें मखाना, झींगा, मसाले, बासमती चावल, काजू, फल-सब्जियां, तेल, स्वीटनर, प्रोसेस्ड शुगर, कन्फेक्शनरी, चारा अनाज, पेट्रोलियम, कच्चे हीरे, सोना, कोयला, बादाम, रक्षा उत्पाद, इंजीनियरिंग और इलेक्ट्रॉनिक सामान, दवाइयां और फार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं।
अगर अमेरिका इन उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाता है, तो अमेरिका में इन चीजों की कीमतें बढ़ जाएंगी। उदाहरण के लिए, बासमती चावल, जो अमेरिका में बेहद लोकप्रिय है, टैरिफ बढ़ने से महंगा हो सकता है, जिससे उसकी डिमांड में कमी आ सकती है। इससे भारत के निर्यात पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा और भारतीय कारोबारियों को नुकसान हो सकता है।