ग्लोबल वॉर्मिंग के खिलाफ जंग में ब्रिटेन एक चौंकाने वाला कदम उठाने जा रहा है। खबर है कि ब्रिटिश सरकार जल्द ही वैज्ञानिकों को सूरज की रोशनी कम करने से जुड़े प्रयोगों की अनुमति देने वाली है। इस मिशन के लिए करीब 50 मिलियन पाउंड (करीब 5 अरब रुपये) का बजट तय किया गया है।
हालांकि, कई विशेषज्ञ इस योजना की आलोचना कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह प्रयोग जितना आकर्षक लगता है, उतना ही खतरनाक भी साबित हो सकता है। आइए जानते हैं इस मिशन की खास बातें:
कैसे घटाई जाएगी सूरज की रोशनी?
वैज्ञानिक एक तकनीक पर काम कर रहे हैं जिसमें हवा में विशेष प्रकार के एरोसोल्स छोड़े जाएंगे। ये कण वातावरण की ऊपरी परत, स्ट्रैटोस्फियर, में जाकर सूरज की कुछ किरणों को पृथ्वी तक पहुंचने से रोकेंगे। इसके अलावा बादलों को अधिक चमकदार बनाने का विचार भी है, ताकि वे ज्यादा सूरज की रोशनी वापस अंतरिक्ष में भेज सकें और पृथ्वी का तापमान घटाया जा सके।
क्या हो सकते हैं इसके खतरे?
विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तकनीक से मौसम के प्राकृतिक चक्रों में गंभीर गड़बड़ी हो सकती है। बारिश के पैटर्न बदल सकते हैं, तूफानों की तीव्रता बढ़ सकती है और कुछ क्षेत्रों में सूखा भी पड़ सकता है। इसलिए अत्यधिक सतर्कता के साथ प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है।
इस प्रोजेक्ट को ब्रिटेन की एडवांस्ड रिसर्च एंड इन्वेंशन एजेंसी (ARIA) फंड कर रही है। ARIA ने जियो-इंजीनियरिंग रिसर्च के लिए 50 मिलियन पाउंड का विशेष फंड बनाया है। एजेंसी के प्रोग्राम डायरेक्टर, प्रोफेसर मार्क साइम्स ने कहा है कि रिसर्च के दौरान पर्यावरण की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रहेगी और प्रयोग पूरी तरह से रिवर्स करने योग्य होंगे। कुछ हफ्तों में रिसर्च टीमों और प्रयोग स्थलों की जानकारी भी साझा की जाएगी।
अगर शुरुआती प्रयोग सफल होते हैं, तो अगले 10 वर्षों में इस तकनीक को बड़े स्तर पर लागू किया जा सकता है। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि सूरज की किरणों को नियंत्रित कर ग्लोबल वॉर्मिंग से निपटने का एक प्रभावी तरीका विकसित किया जा सकेगा।