भारत में स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को लेकर हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें यह स्पष्ट हुआ है कि कैंसर अब भी भारतीयों के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। यह रिपोर्ट हेल्थ रिसर्च फर्म इप्सोस हेल्थकेयर द्वारा 31 देशों में किए गए सर्वेक्षण पर आधारित है।
सर्वेक्षण की मुख्य बातें
- 47 प्रतिशत भारतीयों ने कैंसर को अपनी प्रमुख स्वास्थ्य चिंता बताया।
- इसके बाद क्रमशः मोटापा (28 प्रतिशत), मानसिक स्वास्थ्य (26 प्रतिशत), नशीली दवाओं का दुरुपयोग (16 प्रतिशत) और तनाव (14 प्रतिशत) रहे।
- सर्वेक्षण में भारत सहित कुल 31 देशों के नागरिकों की राय शामिल की गई।
2023 की तुलना में बदलाव
- कैंसर से जुड़ी चिंता में 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
- मोटापे की चिंता में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो अब दूसरी सबसे बड़ी चिंता बन चुकी है।
- मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता में भी 7 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई है।
विशेषज्ञ की टिप्पणी
गौरी पाठक, प्रमुख, हेल्थकेयर और फार्मा रिसर्च, इप्सोस इंडिया ने कहा:
“कैंसर अब भी शीर्ष चिंता है, लेकिन मोटापे को लेकर बढ़ती चिंता यह दर्शाती है कि लोग जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों को लेकर ज्यादा सतर्क हो रहे हैं। यह बदलाव विभिन्न कंपनियों द्वारा जागरूकता फैलाने के कारण भी हो सकता है। लोगों को यह समझाना ज़रूरी है कि धीरे-धीरे और लगातार जीवनशैली में सुधार कर इन समस्याओं से निपटा जा सकता है।”
स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता और खर्च
63 प्रतिशत लोगों का मानना है कि भारत में अच्छी चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध हैं।
वहीं, 62 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे इन सुविधाओं का खर्च वहन नहीं कर सकते क्योंकि यह उनकी पहुंच से बाहर है।
गौरी पाठक ने यह भी जोड़ा, “अगर किसी को उच्च गुणवत्ता वाली और आरामदायक स्वास्थ्य सेवा चाहिए, तो उसकी लागत बहुत ज्यादा होती है। पीएम-जन आरोग्य योजना (PM-JAY) से राहत जरूर मिली है, लेकिन इलाज की कुल लागत अब भी अधिकांश लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण है।”