नई दिल्ली: केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल ने कहा है कि सरकार की रणनीति यह सुनिश्चित करने की है कि भारत का पानी पाकिस्तान तक न पहुंचे। यह बयान उन्होंने गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद दिया।
पाटिल ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मुद्दे पर कड़े निर्देश दिए हैं। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद, भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने और अटारी सीमा को बंद करने जैसे कई बड़े फैसले लिए हैं।
भारत के इन कदमों के जवाब में पाकिस्तान ने भी शिमला समझौते को निलंबित करने की घोषणा कर दी है।
1960 में हुई सिंधु जल संधि के तहत, भारत को ब्यास, रावी और सतलुज नदियों का अधिकार मिला था, जबकि पाकिस्तान को सिंध, चिनाब और झेलम नदियों के पानी का अधिकार दिया गया था। हालांकि भारत को पश्चिमी नदियों के जल का 20 प्रतिशत हिस्सा इस्तेमाल करने का अधिकार प्राप्त है।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने भारत की इस कार्रवाई को “युद्ध की घोषणा” करार देते हुए कहा कि यह पानी पाकिस्तान का अधिकार है और भारत इस संधि को एकतरफा रद्द नहीं कर सकता। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान इस मामले को विश्व बैंक के समक्ष उठाएगा, क्योंकि यह संधि उनकी मध्यस्थता में संपन्न हुई थी।