मुंबई क्राइम ब्रांच उन करीब 80 भारतीयों का पता लगाने की तैयारी में है, जिन्हें अमेरिका जाने का झांसा देकर मोटी रकम वसूली गई और फिर डंकी रूट के जरिए वहां भेजा गया। इस मामले में मुंबई पुलिस कानूनी चैनलों के माध्यम से केंद्रीय एजेंसियों से संपर्क करेगी और उनके जरिए अमेरिकी अथॉरिटी को भी इस संबंध में जानकारी दी जाएगी।
इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) से मिली जानकारी के आधार पर, मुंबई क्राइम ब्रांच ने 8 एजेंटों को गिरफ्तार किया, जो पिछले तीन वर्षों में लगभग 80 युवाओं को कनाडा, तुर्की, पोलैंड और यूएई भेजने में शामिल थे। इन एजेंटों ने फर्जी वीजा का इस्तेमाल कर युवाओं को इन देशों तक पहुंचाया। सूत्रों का मानना है कि इन भारतीयों को बाद में डंकी रूट के जरिए अमेरिका भेजा गया।
अमेरिका पहुंचाने के लिए 30-60 लाख रुपये की मांग
क्राइम ब्रांच की जांच में सामने आया कि जिन युवाओं को ठगा गया, वे मुख्य रूप से गुजरात, पंजाब और हरियाणा से थे। आरोपी उन्हें अमेरिका का सपना दिखाकर 30-60 लाख रुपये तक वसूलते थे। एक अधिकारी के मुताबिक, कई लोग ऐसे होते हैं जिनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड या कानूनी पेंच फंसा होता है, जिससे उन्हें वीजा नहीं मिलता। ऐसे मामलों में एजेंट उन्हें कनाडा का फर्जी वीजा देकर वहां भेजते थे, जिसके लिए 50 लाख रुपये तक की रकम ली जाती थी।
कनाडा से अमेरिका जाने में लगते हैं 12-13 दिन
कनाडा पहुंचने के बाद, इन युवाओं को वहां से डंकी रूट के जरिए अमेरिका भेजा जाता था। इस प्रक्रिया में 12-13 दिन लगते हैं। वहीं, तुर्की के जरिए अमेरिका भेजने के लिए एजेंट करीब 35 लाख रुपये वसूलते थे और इस रास्ते से अमेरिका पहुंचने में 10 दिन का वक्त लगता था।
मुंबई क्राइम ब्रांच अब इस पूरे ह्यूमन ट्रैफिकिंग नेटवर्क की गहराई से जांच कर रही है और अमेरिकी अथॉरिटी से सहयोग लेकर डंकी रूट से गए भारतीयों का पता लगाने की कोशिश कर रही है
इस मामले का मुख्य आरोपी अजित पूरी है और दूसरे आरोपी का नाम रोशन दुधवनकर है रोशन इस तरह की मानव तस्करी करने के 12 मामले दर्ज हैं. क्राइम ब्रांच इस मामले में अब BNS को धारा 111 (ऑर्गनाइज्ड क्राइम) भी जोड़ने वाली है ताकि आरोपियों के खिलाफ केस और भी मजबूत बनाया जा सके.