प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके सहयोगी दलों के समर्थक जश्न मना रहे हैं, क्योंकि गठबंधन बिहार विधानसभा चुनाव में निर्णायक जीत की ओर बढ़ रहा है। सुबह 8 बजे मतगणना शुरू हुई और शुरुआती रुझानों में ही 243 में से करीब 200 सीटों पर NDA की बढ़त दिखाई देने लगी।
हालांकि कई सीटों पर नतीजे अभी बदल सकते हैं, लेकिन विपक्ष — जो 40 से कम सीटों पर आगे है — के लिए वापसी लगभग असंभव मानी जा रही है।
रिकॉर्ड वोटिंग और विवादित मतदाता सूची संशोधन
इस बार चुनाव प्रक्रिया विवादों में भी घिरी रही। विपक्ष ने आरोप लगाया था कि वोटर लिस्ट में हुए संशोधन से कई असली मतदाताओं, खासकर अल्पसंख्यकों के नाम हटाए गए, जिससे BJP को फायदा पहुंचेगा।
लेकिन भाजपा और चुनाव आयोग, दोनों ने इन आरोपों को खारिज किया।
चुनाव 6 और 11 नवंबर को हुए थे और बिहार ने इस बार रिकॉर्ड 66.91% मतदान किया। चुनाव आयोग के अनुसार 1951 के बाद यह सबसे अधिक मतदान है।
NDA की बढ़त: BJP और JDU का दमदार प्रदर्शन
एग्ज़िट पोल पहले ही NDA की जीत की भविष्यवाणी कर चुके थे। गठबंधन में प्रमुख साझेदार JDU और BJP हैं। बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में NDA की सरकार चल रही है।
मुख्य मुकाबला था:
- NDA (BJP + JDU + अन्य)
- महागठबंधन (कांग्रेस + RJD + छोटे दल)
जैसे-जैसे रुझान सामने आए, BJP और इसके शीर्ष नेताओं ने बिहार की जनता का आभार जताया।
वहीं, विपक्ष की ओर से अभी तक कोई खास प्रतिक्रिया नहीं आई है।
प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी का ‘डेब्यू’ फीका
इस चुनाव में चुनावी रणनीतिकार रह चुके प्रशांत किशोर की नई पार्टी जन सुराज ने भी मैदान में कदम रखा। हालांकि, पार्टी एक भी सीट पर बढ़त नहीं बना सकी।
महिला मतदाताओं ने बदली तस्वीर
विशेषज्ञों के अनुसार NDA की बड़ी जीत के पीछे सबसे बड़ा कारण महिलाओं की रिकॉर्ड वोटिंग है।
इस बार महिलाओं का मतदान प्रतिशत 71.6% पहुंच गया, जो अब तक का सबसे ऊंचा है।
दोनों गठबंधनों ने महिलाओं को लुभाने के लिए कई योजनाओं का ऐलान किया था, लेकिन नीतीश कुमार की वेलफेयर स्कीम्स ने उन्हें ज्यादा आकर्षित किया।
वोटर लिस्ट संशोधन पर विवाद
चुनाव आयोग ने कुछ महीनों पहले संशोधित मतदाता सूची जारी की थी, जिसमें 4.7 मिलियन (47 लाख) वोटर्स के नाम हटाए गए।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि इससे खास वर्गों, विशेषकर मुस्लिमों, के मतदाता हटाकर BJP को फायदा पहुंचाने की कोशिश की गई।
हालांकि आयोग और BJP दोनों ने इसे पूरी तरह गलत बताया।
दो दिग्गजों की आखिरी बड़ी लड़ाई?
इस चुनाव पर इसलिए भी सबकी नजरें थीं क्योंकि यह संभवतः दो बड़े नेताओं —
- नीतीश कुमार (JDU)
- लालू प्रसाद यादव (RJD)
की आखिरी सक्रिय चुनावी भागीदारी हो सकती है।

