‘द लैंसेट’ जर्नल में प्रकाशित एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन के अनुसार, 2050 तक भारत में 44 करोड़ से ज्यादा लोग मोटापे या अधिक वजन के शिकार हो सकते हैं। इस शोध में वैज्ञानिकों ने अनुमान लगाया है कि भारत में 21.8 करोड़ पुरुष और 23.1 करोड़ महिलाएं मोटापे से ग्रस्त होंगी। इस मामले में भारत, चीन के बाद दूसरे स्थान पर रहेगा, जबकि अमेरिका, ब्राजील और नाइजीरिया तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर होंगे।
तेजी से बढ़ रहा मोटापा
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के सहयोग से हुई ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) स्टडी 2021 के मुताबिक, 2021 में दुनियाभर में एक अरब पुरुष और एक अरब से ज्यादा महिलाएं मोटापे की चपेट में थीं। भारत में यह आंकड़ा 18 करोड़ (8.1 करोड़ पुरुष और 9.8 करोड़ महिलाएं) था। अनुमान है कि 2050 तक यह संख्या 3.8 अरब तक पहुंच सकती है।
भारत में मोटापे की स्थिति और खतरा
रिपोर्ट के अनुसार, 5 से 14 साल की उम्र के 1.6 करोड़ लड़के और 1.4 करोड़ लड़कियां 2050 तक अधिक वजन या मोटापे से प्रभावित हो सकते हैं। इस वजह से भारत इस मामले में चीन के बाद दूसरे स्थान पर रहेगा। वहीं, 15-24 आयु वर्ग में भारत सबसे ज्यादा प्रभावित देश बन सकता है, जहां 2.2 करोड़ पुरुष और 1.7 करोड़ महिलाएं मोटापे से जूझ सकती हैं।
अमेरिका के वाशिंगटन विश्वविद्यालय के हेल्थ मीट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन संस्थान (IHME) की प्रमुख शोधकर्ता इमैनुएला गाकिडो का कहना है कि मोटापा न केवल एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या है, बल्कि यह समाज की बड़ी विफलता भी दर्शाता है। उनका मानना है कि सरकारों और स्वास्थ्य संस्थानों को मोटापे की रोकथाम और इसके इलाज के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी की चेतावनी
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘मन की बात’ कार्यक्रम में मोटापे के बढ़ते खतरे पर चिंता जताई। मोटापा सिर्फ मेटाबॉलिज्म और हृदय रोगों का जोखिम नहीं बढ़ाता, बल्कि यह हड्डियों की सेहत, प्रजनन क्षमता और कैंसर के खतरे को भी बढ़ा सकता है।
हाल ही में, लैंसेट कमीशन ने मोटापा मापने के तरीके बदलने की जरूरत बताई। उन्होंने BMI को स्वास्थ्य का सही पैमाना मानने से इनकार किया और कमर की चौड़ाई व कमर-हिप अनुपात को शामिल करने की सिफारिश की। रिपोर्ट में ‘नैदानिक मोटापा’ और ‘पूर्व-नैदानिक मोटापा’ जैसी नई श्रेणियां जोड़ने का सुझाव दिया गया है।