चंडीगढ़ | 22 दिसंबर 2025 | न्यूज़ डेस्क:
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा की जगह VB-G RAM G (विकसित भारत गारंटी फॉर एम्प्लॉयमेंट एंड लाइवलीहुड मिशन–ग्रामीण) योजना लागू करने के फैसले पर कड़ा ऐतराज जताया है। उन्होंने इस कदम को गरीबों की रोज़ी-रोटी पर सीधा हमला करार देते हुए कहा कि यह बदलाव मनरेगा की मूल भावना को खत्म करने की साजिश है।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार महात्मा गांधी का नाम हटाकर ऐतिहासिक योजना को कमजोर करना चाहती है। उन्होंने ऐलान किया कि इस मुद्दे पर पंजाब की आवाज़ बुलंद करने के लिए जनवरी के दूसरे सप्ताह में पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। यह निर्णय आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल समेत वरिष्ठ नेताओं के साथ हुई बैठक के बाद लिया गया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री मान ने केंद्र सरकार की नीतियों की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि केवल नाम बदलने से कोई सुधार नहीं होता, बल्कि ज़मीनी स्तर पर काम और मज़दूरों को समय पर भुगतान मिलना ज़रूरी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि योजना का नाम चाहे कुछ भी हो, असली मुद्दा यह है कि मज़दूरों को उनका हक़ मिले और रोज़गार की गारंटी बनी रहे।
उल्लेखनीय है कि भारी विरोध के बावजूद लोकसभा ने करीब 14 घंटे की बहस के बाद VB-G RAM G बिल पारित कर दिया है। नए कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को अब 100 के बजाय 125 दिनों के रोज़गार की गारंटी देने का दावा किया गया है। हालांकि विपक्ष का कहना है कि यह बढ़ोतरी केवल कागज़ों तक सीमित है, क्योंकि फंडिंग मॉडल में बड़ा बदलाव किया गया है।
पहले जहां मनरेगा के तहत खर्च का 100 प्रतिशत वहन केंद्र सरकार करती थी, वहीं अब 60:40 के अनुपात में केंद्र और राज्यों को लागत साझा करनी होगी। विपक्षी दलों का कहना है कि पंजाब जैसे आर्थिक रूप से सीमित राज्यों के लिए यह व्यवस्था बेहद नुकसानदेह साबित होगी।
आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता नील गर्ग ने इस बिल को “योजनाबद्ध धोखाधड़ी” बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार गरीब और ग्रामीण मज़दूरों के संवैधानिक अधिकारों को कमजोर कर रही है और ध्यान भटकाने के लिए नाम बदलने की राजनीति कर रही है।
नए बिल में कई ऐसे प्रावधान शामिल किए गए हैं जिन पर सवाल उठ रहे हैं। इनमें मांग आधारित बजट व्यवस्था को खत्म करना, 60 दिन की अनिवार्य ‘नो-वर्क पीरियड’ लागू करना, केवल केंद्र द्वारा अधिसूचित क्षेत्रों में ही रोज़गार उपलब्ध कराना और बेरोज़गारी भत्ते को लेकर अस्पष्टता शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे अधिकार आधारित योजना एक विवेकाधीन योजना में बदल जाएगी।
इस बीच पंजाब में विभिन्न किसान और मज़दूर संगठनों ने मनरेगा में बदलाव के खिलाफ प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। कई जिलों में केंद्र सरकार के पुतले फूंके गए। मज़दूर संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि यह कानून लागू हुआ तो यह ग्रामीण गरीबों के लिए आखिरी सुरक्षा कवच को खत्म कर देगा।
गौरतलब है कि मनरेगा की शुरुआत वर्ष 2005 में यूपीए सरकार के दौरान हुई थी और बीते 20 वर्षों में इस योजना ने करोड़ों ग्रामीण परिवारों को रोज़गार की गारंटी दी है। अब VB-G RAM G योजना लागू होने के बाद मनरेगा के भविष्य को लेकर देशभर में राजनीतिक और सामाजिक बहस तेज़ हो गई है।

