‘प्राउड ऑफ यू…मैं ईश्वर से करती हूं कि तुम्हारी आत्मा को शांति मिले. तुमने अपने जीवन के सबसे खूबसूरत पल जिए, और हम हर तरह से तुम्हें गर्व महसूस कराएंगे’
ये शब्द लेफ्टिनेंट विनय नरवाल की पत्नी हिमांशी ने उस समय कहे जब उन्होंने अपने पति के तिरंगे में लिपटे ताबूत को गले लगाया। वह ताबूत सिर्फ़ एक शरीर नहीं था, बल्कि बहादुरी, बलिदान और गर्व का प्रतीक था। दिल्ली एयरपोर्ट पर भावनाओं से भरा यह क्षण हर किसी की आँखों में आँसू छोड़ गया।
हिमांशी की शादी को मात्र सात दिन हुए थे। उनके हाथों की मेहंदी अभी भी फीकी नहीं पड़ी थी। वह और विनय अपनी नई ज़िंदगी की शुरुआत को यादगार बनाने के लिए पहलगाम गए थे—लेकिन किसे पता था कि वहीं हुआ आतंकी हमला उनकी सारी खुशियाँ छीन लेगा।
जब विनय का पार्थिव शरीर दिल्ली लाया गया, तो परिवार ने उन्हें अंतिम विदाई दी। हिमांशी, जो ताबूत के पास खड़ी थी, उनके काँपते हुए हाथ तिरंगे को छू रहे थे जो उनके पति के पार्थिव शरीर को ढक रहा था। पास में एक मेज़ पर विनय की एक तस्वीर रखी थी जिसमें वह नौसेना की वर्दी में मुस्कुरा रहे थे।
चारों ओर नौसेना के अधिकारी सफेद वर्दियों में सिर झुकाए खड़े थे, अपने साथी को अंतिम श्रद्धांजलि दे रहे थे।
हिमांशी का हाथ पकड़कर परिवार के सदस्य उन्हें सांत्वना देने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन वे खुद भी अपने आँसू नहीं रोक पा रहे थे। पास खड़े अधिकारी भी अपनी भावनाओं पर काबू पाने की कोशिश कर रहे थे।
लेफ्टिनेंट विनय नरवाल का बुधवार (23 अप्रैल) को करनाल में अंतिम संस्कार कर दिया गया। बहन सृष्टि और चचेरे भाई ने उन्हें मुखाग्नि दी। इससे पहले बहन ने अर्थी को कंधा भी दिया।
CM नायब सैनी और पूर्व डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला भी श्रद्धांजलि देने पहुंचे। लेफ्टिनेंट की अंतिम यात्रा में जनसैलाब उमड़ा। लोगों ने विनय नरवाल अमर रहे और पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए।