वॉशिंगटन: हाल ही के हफ्तों में अमेरिका ने 1,000 से अधिक अंतरराष्ट्रीय छात्रों के वीजा रद्द कर दिए हैं, जिससे कई छात्रों ने ट्रंप प्रशासन के खिलाफ कोर्ट में मुकदमा दायर किया है। उनका आरोप है कि सरकार ने बिना किसी पूर्व चेतावनी के अमेरिका में उनके रहने की अनुमति अचानक रद्द कर दी। इस कदम से सैकड़ों छात्रों को हिरासत में लिए जाने और देश से बाहर निकाले जाने की आशंका है।
इन छात्रों में हार्वर्ड और स्टैनफोर्ड जैसे प्रतिष्ठित निजी विश्वविद्यालयों के साथ-साथ मैरीलैंड और ओहायो स्टेट जैसे प्रमुख सार्वजनिक संस्थानों तथा छोटे कॉलेजों के छात्र भी शामिल हैं।
सरकार के फैसले पर सवाल
एपी न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च के अंत से अब तक कम से कम 160 कॉलेजों और यूनिवर्सिटीज़ के 1,024 से ज्यादा छात्रों के वीजा रद्द किए गए हैं या उनकी अमेरिका में रहने की वैध अनुमति समाप्त कर दी गई है। छात्रों द्वारा दायर मुकदमों में कहा गया है कि सरकार के पास ऐसा करने का कोई स्पष्ट या वैध कारण नहीं है।
कॉलेजों का कहना है कि कई छात्रों को पुराने और मामूली मामलों, जैसे कि ट्रैफिक उल्लंघन, के आधार पर निशाना बनाया गया है। कुछ छात्रों को यह भी नहीं पता कि उन्हें क्यों कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है।
राजनीतिक कारण भी सामने आए
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के एक छात्र कार्यकर्ता महमूद खलील की हिरासत सहित कई प्रमुख घटनाएं सामने आई हैं। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि फिलिस्तीन समर्थक गतिविधियों में शामिल विदेशियों को देश से निकाला जाना चाहिए।
छात्रों का कहना है कि सरकार के इस फैसले से उनका भविष्य अधर में लटक गया है और वे बिना गलती के सजा भुगत रहे हैं।