सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को लगातार दूसरे दिन वक्फ एक्ट पर सुनवाई हुई। इस मामले की सुनवाई अदालत में दोपहर दो बजे शुरू हुई। इससे पहले बुधवार को भी कोर्ट में सुनवाई हुई थी। पीठ ने केंद्र की मांग पर जवाब दाखिल करने के लिए सरकार को सात दिन का समय दिया है। तब तक इस मामले में यथास्थिति बरकरार रखी जाएगी।
इसके अलावा अगले आदेश तक वक्फ बोर्ड में कोई नियुक्ति नहीं की जाएगी। इस दौरान मुस्लिम पक्ष और केंद्र सरकार ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं। अदालत ने बुधवार को संकेत दिया था कि वह इस संबंध में अंतरिम आदेश जारी कर सकती है। इस पर केंद्र सरकार ने बुधवार को सुनवाई के दौरान कहा था कि अंतरिम आदेश जारी करने से पहले उनकी दलीलें सुनी जानी चाहिए।
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। तीन न्यायाधीशों की पीठ ने वक्फ अधिनियम के तीन प्रावधानों पर रोक लगाने का प्रस्ताव दिया है। आपको बता दें कि नए वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 73 याचिकाएं दायर की गई हैं। इसकी वैधता को अदालत में चुनौती दी गई है। याचिकाओं में दावा किया गया कि संशोधित कानून के तहत वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन असाधारण तरीके से किया जाएगा और यह कानून मुसलमानों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
सरकार का तर्क
सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार जनता के प्रति जवाबदेह है। सरकार को लाखों प्रतिनिधि मिले और हर गांव को वक्फ में शामिल किया गया। कई जमीनों पर वक्फ के दावे किए जाते हैं। इसे कानून का हिस्सा माना जाता है। अंतरिम रोक के बारे में मेहता ने कहा कि कानून पर रोक लगाना एक कठोर कदम होगा। उन्होंने अदालत के समक्ष कुछ दस्तावेजों के साथ प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। सॉलिसिटर जनरल ने आश्वासन दिया कि इस अवधि के दौरान बोर्ड या परिषद में कोई नियुक्ति नहीं होगी। उन्होंने यह भी कहा कि यह ऐसा मामला नहीं है जिस पर इस तरह से विचार किया जा सके।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून में कुछ सकारात्मक बातें भी हैं और इस पर पूरी तरह से रोक नहीं लगाई जा सकती। वह वर्तमान स्थिति में कोई बदलाव नहीं चाहते हैं। कोर्ट ने कहा कि जब तक मामला कोर्ट में लंबित है, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव न हो।