अमेरिका की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्था, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, इन दिनों पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर है। ट्रंप ने संकेत दिया है कि यूनिवर्सिटी को दी गई टैक्स छूट को खत्म किया जा सकता है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रूथ’ पर लिखा कि अगर हार्वर्ड वैचारिक और राजनीतिक पूर्वाग्रह तथा आतंकवाद के समर्थन जैसे मुद्दों को बढ़ावा देता रहा, तो उस पर भी राजनीतिक संगठनों की तरह टैक्स लगाया जाना चाहिए।
ट्रंप का तर्क है कि टैक्स में छूट केवल उन्हीं संस्थाओं को मिलनी चाहिए जो जनता के हित में काम करती हैं। फिलहाल अमेरिका में कई धार्मिक संस्थानों और शैक्षणिक संस्थाओं को यह छूट मिलती है, जिसमें हार्वर्ड भी शामिल है।
फंडिंग पर भी गिरी गाज
इससे पहले 14 अप्रैल 2025 को ट्रंप प्रशासन ने हार्वर्ड की करीब 18 हजार करोड़ रुपये की फंडिंग रोक दी थी। यह कदम तब उठाया गया जब हार्वर्ड ने कैंपस में यहूदी विरोधी गतिविधियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने और एडमिशन, गवर्नेंस व हायरिंग प्रक्रिया में सरकारी दखल की मांगों को मानने से इनकार कर दिया था।
हार्वर्ड का जवाब
इस पर हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रेसिडेंट एलन गारबहर ने स्पष्ट किया कि यूनिवर्सिटी सरकार के दबाव में नहीं झुकेगी और अपनी स्वतंत्रता और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए कोई समझौता नहीं करेगी। इसके जवाब में ट्रंप की ‘जॉइंट टास्क फोर्स टू कॉम्बैट एंटी सेमिटिज्म’ ने कहा कि हार्वर्ड को दी जाने वाली 2.2 अरब डॉलर की फंडिंग फिलहाल रोक दी गई है। टास्क फोर्स का आरोप है कि हार्वर्ड सरकार से फंडिंग तो चाहता है, लेकिन नियमों का पालन करने को तैयार नहीं है।