जर्मनी में ‘टैपिनोमा मैग्नम’ नामक विदेशी चींटियों की एक प्रजाति ने खलबली मचा रखी है। भूमध्यसागरीय क्षेत्र से आई ये चींटियां अब तेजी से उत्तर जर्मनी की ओर फैल रही हैं, जिससे बिजली और इंटरनेट जैसी जरूरी सेवाएं भी प्रभावित हो रही हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इन चींटियों की विशाल कॉलोनियां न सिर्फ तकनीकी ढांचे को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि आम लोगों के जीवन पर भी असर डाल रही हैं।
कार्लस्रूहे के प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय के कीट विशेषज्ञ मैनफ्रेड वेर्हाग बताते हैं कि टैपिनोमा मैग्नम की कॉलोनियों में लाखों चींटियां होती हैं और ये पारंपरिक प्रजातियों से कई गुना बड़ी होती हैं। इनकी मौजूदगी अब कोलोन और हनोवर जैसे उत्तरी शहरों में भी देखी गई है, जिससे वहां की तकनीकी सेवाएं खतरे में पड़ गई हैं।
वैज्ञानिकों की चेतावनी
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह चींटी बाडेन-वुर्टेम्बर्ग और आसपास के इलाकों में तेजी से कॉलोनियां बना रही है। कीहल शहर में तो पहले ही इनकी वजह से बिजली और इंटरनेट सेवाएं बाधित हो चुकी हैं। फ्रांस और स्विट्जरलैंड में भी इनकी उपस्थिति दर्ज की जा चुकी है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह खतरा पूरे यूरोप में फैल सकता है।
सरकारी प्रतिक्रिया और चेतावनी
हालांकि अभी टैपिनोमा मैग्नम को आधिकारिक तौर पर आक्रामक प्रजाति नहीं माना गया है, लेकिन बाडेन-वुर्टेम्बर्ग के पर्यावरण सचिव आंद्रे बाउमन ने इसे एक गंभीर कीट करार दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर समय रहते नियंत्रण नहीं किया गया, तो यह बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा सकती है।
प्रसार रोकने की पहल
इस संकट को गंभीरता से लेते हुए जर्मन वैज्ञानिकों और प्रशासनिक एजेंसियों ने मिलकर इस प्रजाति के प्रसार को रोकने के लिए एक संयुक्त परियोजना शुरू की है। अब यह केवल एक कीट का मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय स्तर की चुनौती बन गया है, जिससे पर्यावरण, तकनीकी ढांचे और नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है।