पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल को एक बार फिर शिरोमणि अकाली दल का प्रधान चुन लिया गया है। किसी अन्य नाम के सामने न आने के कारण उन्हें सर्वसम्मति से यह जिम्मेदारी सौंपी गई।
पार्टी की कमान दोबारा संभालने के बाद सुखबीर ने सभी से एकजुट होकर साथ चलने की अपील की। उन्होंने कहा कि अकाली दल को कमजोर करने के लिए राजनीतिक साजिशें रची गईं, और इस समय क्षेत्रीय पार्टियों को मज़बूत करना अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि अकाली दल के खिलाफ साजिश रचने वालों का सभी को मिलकर विरोध करना होगा।
वरिष्ठ नेता बिक्रम मजीठिया ने आरोप लगाया कि कांग्रेस हमेशा से अकाली दल को तोड़ने की कोशिश करती रही है। उन्होंने यह भी कहा कि बागी नेता अकाली विरोधी दलों के हाथों में खेल रहे हैं।
2008 से अध्यक्ष, नवंबर में दिया था इस्तीफा
सुखबीर बादल 2008 से लगातार शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष पद पर थे। पिछले साल नवंबर में उन्होंने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद पार्टी में नए नेतृत्व को लेकर अटकलें तेज़ हो गई थीं।
बगावत के बाद इस्तीफे का दबाव बढ़ा
पंजाब में अकाली दल की गिरावट बेअदबी की घटनाओं के बाद शुरू हुई, लेकिन जब तक प्रकाश सिंह बादल जीवित थे, पार्टी के भीतर कोई बड़ा विरोध नहीं दिखा। उनके निधन के बाद, वरिष्ठ नेताओं ने खुलकर सुखबीर पर निशाना साधा और नेतृत्व परिवर्तन की मांग उठाई। जब सुखबीर ने पद छोड़ने से इनकार किया, तो प्रेम सिंह चंदूमाजरा, गुरप्रताप वडाला और बीबी जागीर कौर जैसे नेताओं ने पार्टी छोड़ अलग राह पकड़ ली। इन नेताओं ने “सुधार लहर” को एक वैकल्पिक शक्ति के रूप में खड़ा किया और बेअदबी के मुद्दों को उठाकर सुखबीर पर दबाव बनाया।