मध्य प्रदेश के दमोह से एक हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है, जिसने पूरे देश का ध्यान खींचा है। यह मामला एक ऐसे शख्स से जुड़ा है, जिसने ब्रिटेन के मशहूर हार्ट स्पेशलिस्ट की पहचान चुराकर खुद को कार्डियोलॉजिस्ट बताकर अस्पताल में नियुक्त करवा लिया। यह कथित फर्जी डॉक्टर अब तक 7 मरीजों की मौत का कारण बन चुका है, जो उसके इलाज के भरोसे अस्पताल में भर्ती हुए थे।
कैसे सामने आया फर्जी डॉक्टर का मामला?
दमोह के मिशन हॉस्पिटल में कार्डियोलॉजी विभाग में कुछ महीने पहले एक डॉक्टर की नियुक्ति हुई थी। उसका नाम बताया गया था डॉ. जॉन कैम – एक लंदन स्थित कार्डियोलॉजिस्ट। लेकिन बाद में पता चला कि यह नाम और प्रोफाइल नकली थे। असली पहचान थी नरेंद्र विक्रमादित्य यादव की, जिसने ब्रिटिश डॉक्टर की पहचान चुराकर फर्जी डॉक्युमेंट्स के आधार पर दिसंबर 2024 में अस्पताल में आठ लाख रुपये प्रतिमाह की नौकरी हासिल कर ली।
कैसे करता था फर्जी इलाज?
नकली डॉक्टर ने दिसंबर 2024 से फरवरी 2025 तक अस्पताल में एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी जैसे जटिल ऑपरेशन किए। सबसे गंभीर बात यह है कि अस्पताल आयुष्मान भारत योजना के तहत गरीब मरीजों का इलाज करता था, और यह फर्जी डॉक्टर सरकारी फंड का भी दुरुपयोग करता रहा। इस दौरान अस्पताल प्रशासन को कोई शक तक नहीं हुआ।
प्रशासन की भूमिका और अब तक की कार्रवाई
एक प्राइवेट प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए हुई यह नियुक्ति, अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही को उजागर करती है। अब जब मामला सामने आया है, तो प्रशासन जांच में जुट गया है। अभी तक कितने मरीज इस फर्जी डॉक्टर का शिकार बने, यह जानना बाकी है।