8 अप्रैल से वक्फ संशोधन अधिनियम, 2025 पूरे देश में लागू हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में अब तक कुल 15 याचिकाओं के ज़रिए चुनौती दी जा चुकी है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल करते हुए आग्रह किया है कि किसी भी आदेश से पहले उसकी दलीलें सुनी जाएं।
सुप्रीम कोर्ट में 15 अप्रैल को होगी सुनवाई
इस अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 15 अप्रैल को होगी। केंद्र सरकार का कहना है कि यह कानून केवल संपत्ति और उसके प्रबंधन से जुड़ा है, न कि धार्मिक मुद्दों से। बीजेपी का दावा है कि इस विधेयक को तैयार करने से पहले विभिन्न समुदायों से सलाह-मशविरा किया गया था, और इसे गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों का भी समर्थन प्राप्त हुआ है। सरकार का मानना है कि यह संशोधन महिलाओं और बच्चों को वक्फ संपत्तियों से फायदा पहुंचाएगा।
विवाद का कारण क्या है?
संशोधित कानून के सबसे विवादास्पद हिस्सों में केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की अनिवार्य नियुक्ति का प्रावधान शामिल है। 7 अप्रैल को, मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल को याचिकाएं सूचीबद्ध करने पर विचार का आश्वासन दिया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल को इस विधेयक को मंजूरी दी थी, जिसे संसद के दोनों सदनों में लंबी चर्चा के बाद पारित किया गया।
बंगाल में विरोध प्रदर्शन हिंसक हुआ
पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में नए कानून के विरोध में हो रहा प्रदर्शन हिंसा में बदल गया। जब पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तय स्थान पर रुकने को कहा, तो वे आगे बढ़ने लगे। इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों में झड़प हो गई, और गुस्साए लोगों ने सड़क जाम कर पुलिस की गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया।