वॉशिंगटन: अमेरिकी सरकार द्वारा H-1B वीजा आवेदन शुल्क में बढ़ोतरी और कड़े फाइलिंग नियम लागू किए जाने का असर साफ नजर आ रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत में खासतौर पर हैदराबाद में स्थानीय एजेंटों और कंसल्टेंसी फर्मों का कहना है कि इस साल वीजा के लिए आवेदन करने की रुचि काफी कम हो गई है।
हैदराबाद में एक कंसल्टेंसी संचालित करने वाले अरुण तेजा बुक्कापरापु ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया, “अब तक मुझे H-1B वीजा आवेदन को लेकर एक भी कॉल नहीं आया है।”
उन्होंने बताया कि अमेरिकी नौकरियों को लेकर बढ़ती अस्थिरता और आवेदन शुल्क $10 से बढ़ाकर $215 किए जाने से कई संभावित आवेदक हतोत्साहित हुए हैं। इसके अलावा, एक ही व्यक्ति द्वारा विभिन्न नियोक्ताओं के माध्यम से कई आवेदन करने पर रोक लगाने वाले नए नियम भी आवेदन संख्या में गिरावट का कारण बने हैं।
अरुण तेजा बुक्कापरापु ने कहा, “नए नियमों के तहत अब एक पासपोर्ट पर केवल एक ही आवेदन की अनुमति है, जिससे आवेदकों की संभावनाएं सीमित हो गई हैं। पहले, लोग विभिन्न नियोक्ताओं के जरिए कई आवेदन जमा कर सकते थे, जिससे उनके चयन की संभावना बढ़ जाती थी।”
आईटी पेशेवरों के लिए बढ़ती लागत चिंता का कारण
कुछ आईटी पेशेवरों ने बताया कि आवेदन प्रक्रिया की बढ़ती लागत भी एक बड़ी समस्या बन गई है। करीब 10 साल के अनुभव वाले आईटी प्रोफेशनल साई ने कहा,
“पिछले साल मैंने वीजा प्रक्रिया पर 5 लाख रुपये से ज्यादा खर्च किए, लेकिन फिर भी मेरा आवेदन खारिज हो गया। इस साल मैं दोबारा आवेदन करना चाहता था, लेकिन बढ़ी हुई फीस और कंसल्टेंसी फीस में 50% की वृद्धि को देखते हुए मैं असमंजस में हूं।”
H-1B वीजा कार्यक्रम और भारतीयों की भागीदारी
H-1B वीजा कार्यक्रम के तहत प्रति वर्ष 65,000 वीजा जारी किए जाते हैं, जबकि अमेरिकी मास्टर डिग्री या उच्चतर डिग्री धारकों के लिए अतिरिक्त 20,000 वीजा आरक्षित होते हैं। H-1B वीजा धारकों में भारतीयों की संख्या काफी अधिक होती है, लेकिन भारत के लिए कोई अलग कोटा निर्धारित नहीं है।
पिछले साल लगभग 15 लाख आवेदन जमा किए गए थे, जिनमें से 6-7 लाख आवेदन वास्तविक थे, जबकि अन्य कई आवेदन एक ही व्यक्ति द्वारा विभिन्न नियोक्ताओं के जरिए जमा किए गए थे।