सरकार ने फास्टटैग सम्बन्धी एक बड़ा बदलाव किया है, जो कि आज से लागू हो गया है। नए फास्टटैग के नियमो के अनुसार, फास्टटैग का देरी से भुगतान करने वाले उपभोगता, कम बैलेंस और ब्लैकलिस्ट किये गए यूजर पर अधिक खर्चा लगया जायेगा।
नेशनल पेमेंट्स कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया और सड़क आवाजाई और राजमार्ग मंत्रालय ने फास्टटैग इकोसिस्टम में महत्वूर्ण बदलाव जारी किये है जिसका उद्देश्य भुगतानों को सुचारु रूप से चलाना, विवादों को काम करना और धोखाधड़ी को रोकना है।
फास्टटैग का नया नियम क्या है ?
नया फास्टटैग नियम 17 फरवाई से लागू होगा। नए नियम अनुसार अगर आपका फास्टटैग टोल गेट पार करने से पहले 60 मिनट तक एक्टिव रहता है और टोल पार करने के बाद 10 मिनट तक अकिरियाशील रहता है तो लेन-देन रद्द कर दिया जायेगा। इसका मतलब टोल भुगतान संभव नहीं हो पायेग। सिस्टम एरर कोड 176 लिख कर इन भुगतना को रद्द किया जायेगा।
इन उपभोगताओं को देना पड़ेगा अधिक चार्ज
इसके साथ ही टोल भुगतानों को सरल बनाने के लिए और विवादों को काम करने के लिए चार्जेबैक प्रकिरिया और कूलिंग पीरियड के साथ साथ लेन -देन के नियमों में बदलाव किये गए है। नए दिशा निर्देशों के अनुसार, अगर वहां टोल रीडर में से निकलते समय 15 मिनट से अधिक समय के बाद टोल का लेन -देन किया जाता है तो उपभोगता को अधिक चार्ज देना पड़ सकता है।
दिसंबर में फास्टटैग लेन-देन की गिनती बढ़कर 382 मिलियन हुई
NPCI के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर में फास्टटैग के लेन-देन की गिनती बढ़ी। जहा नवंबर में ये गिनती 35.9 करोड़ थी वही दिसंबर में यह गिनती 6% बढ़ कर 38.2 हो गयी है। इसके अतिरिक्त फास्टटैग की कीमत नवंबर में 6070 करोड़ रूपए से 9% बढ़ कर 6642 करोड़ हो गयी है।